GDP Kya Hai-GDP का नौकरियों से संबंध-- what is GDP?

GDP Kya Hai-GDP का नौकरियों से संबंध-- what is GDP?



हैलो दोस्तों Hindi Basket में आपका स्वागत है। आज हम आपको बताने जा रहे है GDP kya hota hai | यदि आप भी GDP Ki Jankari प्राप्त करना चाहते है तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पढ़ रहे है। इसके साथ ही आज की पोस्ट के द्वारा आप जानेंगे की GDP भारत की इकॉनमी को kaise सँभालती hai  क्या होते है।


GDP kaise jaruri hai  भी आज आप इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे। और हम आपको यह बिल्कुल सरल भाषा में समझाएँगे। आशा करते है की आपको हमारी सभी पोस्ट पसंद आ रही होगी। और इसी तरह आप आगे भी हमारे ब्लॉग पर आने वाली सारी पोस्ट पसंद करते रहे।


वो दौर वह था जब विश्व की banking Institutions आर्थिक विकास का अनुमान लगाने का काम संभाल रहीं थी उनमें से ज्यादातर को एक शब्द इसके लिए नहीं मिल पा रहा था। जब Simon ने इस शब्द से अमेरिका की कांग्रेस में इस जीडीपी (GDP) शब्द को परिभाषित करके दिखाया तो उसके बाद आईएमएफ (IMF) यानी अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने इस शब्द को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।



चालू वित्त (Current finance) वर्ष की पहली तिमाही में GDP में 23.9 फीसद की negative growth दर्ज की गई है। GDP में यह गिरावट साल 1996 में जीडीपी के तिमाही आंकड़े जारी होने की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है। पहली तिमाही में COVID'19 महामारी और लॉकडाउन के चलते Industrial गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित रही थीं। यही कारण है कि पहली तिमाही की जीडीपी में यह भारी गिरावट दर्ज की गई है।

GDP का Full-form क्या होता हैं ?

 चलिए अब जानते ही जीडीपी का फुल फॉर्म क्या होता है :-
  • ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी)
  • Gross Domestic Products  (GDP)
GDP kya hota hai

GDP क्या है?

GDP को आम भाषा में तो देश के विकास से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन इसकी बारीक परिभाषा ये है कि, किसी एक Particular interval (एक वित्तीय वर्ष) में देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि एक देश में कुल वस्तुओं और सेवाओं से Earned income (कमाई) में से खर्चों को घटाने पर जो आय निकलती है उसे जीडीपी कहा जाता है.
आमतौर पर तीन प्रमुख components (कृषि, उद्योग और सेवा) के उत्पादन के औसत के आधार पर जीडीपी की दर तय होती है.
अन्य परिभाषा 
GDP किसी भी देश की Economic सेहत को मापने का measurement या जरिया है। आपको बता दें कि भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही में की जाती है। जीडीपी का आंकड़ा Economy के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है। इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है।
GDP को दो तरह से present कर सकते हैं :-
GDP को दो तरह से present किया जाता है, क्‍योंकि production की कीमतें महंगाई के साथ घटती बढ़ती रहती हैं। यह पैमाना है Cost price का जिसके अंतर्गत जीडीपी की दर व उत्‍पादन का मूल्‍य एक आधार वर्ष में उत्‍पादन की कीमत पर तय होता है जबकि दूसरा पैमाना Current price है जिसमें उत्‍पादन वर्ष की महंगाई दर शामिल होती है।

कॉस्‍टैंट प्राइस  Cost Price

भारत का Statistics विभाग उत्‍पादन व सेवाओं के मूल्‍यांकन के लिए एक आधार वर्ष यानी Base year तय करता है। इस वर्ष के दौरान कीमतों को आधार बनाकर उत्‍पादन की कीमत और Comparative growth दर तय की जाती है और यही कॉस्‍टैंट प्राइस (Cost Price) जीडीपी है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जीडीपी की दर को महंगाई से अलग रखकर सही ढ़ंग से मापा जा सके।

वर्तमान प्राइस (Current Price) 

GDP के उत्‍पादन मूल्‍य में अगर महंगाई की दर को जोड़ दिया जाए तो हमें आर्थिक उत्‍पादन की मौजूदा कीमत हासिल हो जाती है। यानि कि आपको कॉस्‍टैंट प्राइस जीडीपी को Immediate महंगाई दर से जोड़ना होता है।

साल में कितने  बार जारी की जाती है  जीडीपी के आंकड़े?


साल में चार बार जारी की जाती है जीडीपी के आकड़े | 
भारत में 1950 से जीडीपी मापने की व्यवस्था है. अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के मद्देनज़र आधार वर्ष की अवधि में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं. आजकल देश की जीडीपी को मापने के लिए 2011-12 को आधार वर्ष माना गया है. आधार वर्ष को एक उदाहरण से समझते हैं. माना कि 2011 में एक वस्तु की कीमत 100 रुपया है तो 20 वस्तुओं की कीमत 2000 रुपया हो गई. मतलब 2011 में जीडीपी 2000 रुपये हो गई. 2018 में उत्पादन में कमी आई और केवल 10 वस्तुओँ का उत्पादन हुआ, लेकिन वस्तु की कीमत 200 रुपया हो गयी. इस तरह देखें तो अब भी जीडीपी 2000 रुपये ही है, जबकि उत्पादन घटा है. यहीं पर आधार वर्ष का फॉर्मूला काम आता है.
हमारे देश में Central statistics कार्यालय जीडीपी का आकलन करता है। यह साल में चार बार जीडीपी का आकलन करता है। अर्थात हर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी किये जाते हैं। साथ ही central statistics कार्यालय हर साल सालाना जीडीपी के आंकड़े जारी करता है।


इस तरह Calculate होती है जीडीपी

जीडीपी के token and real दोनों आकलन होते हैं। एक साल में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य ही सांकेतिक जीडीपी होती है। इसे किसी आधार वर्ष के संबंध में महंगाई के सापेक्ष देखने पर वास्तविक जीडीपी पता चलता है, जिससे अर्थव्यवस्ता की स्थिति के बारे में पता लगता है। जीडीपी की calculation की बात करें, तो यह चार घटकों के माध्यम से होती है। ये हैं- कंजम्पशन एक्सपेंडिचर, गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर, इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर और नेट एक्सपोर्ट्स। (Consumption expenditure, government expenditure, investment expenditure and net exports.)

अमेरिकी जीडीपी मुख्य रूप से expenditure approach के आधार पर मापा जाता है। इस दृष्टिकोण की गणना निम्नलिखित का उपयोग करके की जा सकती है 
formulaGDP = C + G + I + NX 
where C=consumption; 
G=government spending;
 I=Investment; and 
NX=net exports


GDP का नौकरियों से संबंध:-

जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों को बताता है. अगर economy बढ़ेगी तो विकास दर में तरक्की और गिरावट होगी तो विकास दर में मंदी कहा जाएगा. अब हम यहां आपको जीडीपी को आम भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं. जीडीपी में मंदी का मतलब होता है कि लोगों के क्रय (खरीदने की) शक्ति में कमी. लोग जब सामान खरीदने लगते हैं तो companies की कमाई होती है. Companies में नई नौकरियां निकाली जाती हैं. कर्मचारियों-कामगारों को वेतन मिलता है. जब वेतन मिलता है तो वो लोग भी अधिक से अधिक सामान खरीदने लगते हैं. इस तरह पैसा घूमता रहता है. लेकिन इसके उलट लोगों की अगर कमाई नहीं होगी तो उनके खरीदने की शक्ति में कमी आएगी, companies का सामान नहीं बिकेगा. सामान नहीं बिकेगा तो कंपनियों की कमाई नहीं होगी. कमाई नहीं होगी तो कर्मचारियों को job से निकाला जाएगा. इस तरह economy मंदी की चपेट में आ जाएगी. सरकारें उत्पादकों और उपभोक्ताओं की बीच इस तरह से सामंजस्य (नियम-कानून के माध्यम से) स्थापित करती है कि किसी को अत्यधिक नुकसान ना हो, लेकिन economy में लगातार वृद्धि जारी रहे.

2020 में भारत की अर्थव्यवस्था


जीडीपी के नीचे रहने का मतलब है कि देश में रहने वाले लोगों की आमदनी में कमी. जीडीपी के नीचे रहने से सबसे अधिक मार गरीबों पर पड़ती है. एक उदाहरण से इसे समझते हैं. भारत में 2018-19 में प्रति व्यक्ति मासिक आय 10534 रुपये है और जीडीपी 5 फीसदी से बढ़ रही है. इस तरह अगले साल उसकी मासिक आय 11,060 रुपये हो जाएगी. मतलब 526 रुपये का इजाफा. अगर जीडीपी 4 फीसदी रहेगी तो सालाना आय में 421 रुपये की वृद्धि होगी. अब आपको समझ आ गया होगा कि जीडीपी में एक फीसदी की गिरावट से आय में क्या फर्क पड़ता है. एक फीसदी की गिरावट से 105 रुपये प्रति माह यानी 1264 रुपये सालाना की आय में कमी आ जाएगी.
भारत के सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी की विकास दर में लॉकडाउन के शुरूआती महीनों वाली तिमाही में ज़बरदस्त गिरावट हुई है.
केंद्र सरकार के Statistics मंत्रालय के अनुसार 2020-21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
ऐसा अनुमान लगाया गया था कि COVID'19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण भारत की जीडीपी की दर पहली तिमाही में 18 फ़ीसदी तक गिर सकती है.
वहीं, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का अनुमान था कि यह दर 16.5 फ़ीसदी तक गिर सकती है लेकिन ताज़ा आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

GST का GDP पर असर

भारत में कर सुधारों के तहत 2017 में GST (The goods and services tax (GST)) को लागू किया गया. तब यह समझा गया कि इसके लागू होने से भारत की economy को चार चांद लग जाएंगे और विभिन्न तरह के Indirect करों से मुक्ति मिल जाएगी. तब इसे इतना बड़ा Reform मानकर पेश किया गया कि रात को 12 बजे तक संसद सत्र चला और इस जीएसटी व्यवस्था को लागू कर दिया गया. बाद के सालों में इसमें सुधार किया गया. आज आलम यह है कि जिस रिफॉर्म को सरकार अपनी आमदनी का जरिया मान रही थी उससे आमदनी कम होती जा रही है. राजस्व विभाग की ओर से जारी आंकड़ों में पता चला कि अगस्त महीने में जीएसटी कलेक्शन फिर 1 लाख करोड़ रुपये ने नीचे रहा है. गौरतलब है कि जुलाई 2019 में यह राशि एक लाख करोड़ रुपये रही थी.


Conclusion:-


आज की post  के माध्यम से आपने जाना की GDP Kya Hai और इसके साथ ही GDP Full Form भी आपने जाना। आशा करते है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

अगर आप भी जानना चाहते है की GDP  क्या होना चाहिए तो हमारी इस post  की मदद ज़रुर ले।GDP hone   Ke Fayde आज की post  के माध्यम से आप जान गये होंगे। और आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताये।


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 आपका दिन शुभ हो।


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